Monday, 13 January 2014

पर्वोत्सव-मन्दिर

पर्वोत्सव-मन्दिर मूलत: बलभद्र सम्प्रदायी है। किन्तु पूजार्चन में ज़्यादा-तर प्रसाव पुष्टि मार्गीय है। वैसे वर्ष-भर कोई न कोई उत्सव होता ही रहता है किन्तु मुख्यत: वर्ष प्रतिपदा, चैत्र पूर्णिमा बलदेवजी का रासोत्सवअक्षय तृतीया, (चरण दर्शन) गंगा दशहरादेवशयनी एकादशी, समस्त श्रावण मास के झूलोत्सव, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, बलदेव श्रीदाऊजी का जन्मोत्सव (भाद्रपद शुक्ल 6) तथा राधाष्टमी, दशहरा, शरद पूर्णिमा, दीपमालिका, गोवर्धन पूजा, (अन्नकूट) यम द्वितीया तथा अन्य समस्त कार्तिक मास के उत्सव मार्गशीर्ष पूर्णिमा (पाटोत्सव) तथा माघ की बसंत पंचमी से प्रारम्भ होकर चैत्र कृष्ण-पंचमी तक का 1-1/2 माह का होलीउत्सव प्रमुख है। होली में विशेषकर फाल्गुन शुक्ल 15 को होली पूजन सम्पूर्ण हुरंगा जो कि ब्रज मंडल के होली उत्सव का मुकुट मणि है, अत्यन्त सुरम्य एंवं दर्शनीय हैं। पंचमी को होली उत्सव के बाद 1 वर्ष के लिये इस मदन-पर्व को विदायी दी जाती है। वैसे तो बलदेव में प्रतिमाह पूर्णिमा को विशेष मेला लगता है फिर भी विशेषकर चैत्र पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, मार्गशीर्ष पूर्णिमा एवं देवछट को भारी भीड़ होती है। इसके अतिरिक्त वर्ष-भर हज़ारों दर्शनार्थी प्रतिदिन आते हैं। भगवान विष्णु के अवतारों की तिथियों को विशेष स्नान भोग एवं अर्चना होती है तथा 2 बार स्नान श्रृंगार एवं विशेष भोग राग की व्यवस्था होती है। यहाँ का मुख्य प्रसाद माखन एवं मिश्री है तथा खीर का प्रसाद, जो कि नित्य भगवान आरोगते हैं, प्रसिद्ध हैं।

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